रविवार, 22 सितंबर 2013

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धींवर की जीवन शैली


पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धींवर जाति जनसँख्या की दृष्टि से तीसरे अंक की जाति है। प्रान्त के पश्चिमी भाग के लगभग हर गाँव और नगर में धींवर जाति की बहुलता है।  मगर बावजूद इसके धींवर जाति राजनेतिक, आर्थिक,सामाजिक और शेक्षिक दृष्टि से अत्यंत दयनीय हालत में है। जल ,जंगल से संबद्द यह जाति आज भी अस्पर्श्यता जैसा अभिशप्त जीवन जीने को लाचार है।  आधुनिक समाज आज भी कहीं - कहीं इस जाति को "कमीन " जैसे तिरस्क्रत शब्दों से संबोधित करता है। सरकार और आधुनिक समाज द्वारा उपेक्षित धींवर जाति घोर दरिद्रता तथा संघर्ष में जीवन यापन  कर रही है।
 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीसरे पायदान की जाति होने के बावजूद इस समुदाय का कोई भी प्रतिनिधित्व राज्य अथवा केंद्र सरकार में नहीं है। इस जाति का इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि उपेक्षित रूप से पिछड़े हुए लोग आज भी खानाबदोश जीवन जीते हैं।  तुष्टिकर्ण और धुर्विकर्ण की राजनीती में धींवर जाति को राजनेतिक दलों ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है। इस जाति में बहुत ही कम संख्या में जमीन के मालिक हैं अन्यथा अधिकांशत :किसानों के खेतों में बेगार और दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोग हैं।  मजदूरी ही इस जाति का मुख्य काम धंधा है। जून से लेकर सितम्बर तक पुरुष ईख बंधाई करते है जबकि औरते खेतों में बेगार करती है। सरकारी नौकरियों में धींवर जाति का अनुपात नाममात्र  ही है।शरद ऋतू  में यह जाति कोलुह में गन्ने की पिलाई करके गुड-शक्कर बनाने का पैत्रिक धंधा करती है। कोलुह द्वारा गुड -शक्कर बनाना इस जाति के मुख्य व्यवसाय में से एक है। कुछ लोग ईट भट्टों पर गारा से ईट बनाने  का कार्य भी करते हैं।इस्के लिए यह सुदूर स्थानों तक अपने परिवारों को लेकर जाते हैं।  कुछ लोग कोलुह का काम करने के लिए भी इसी तरह दुसरे प्रदेशों तक जाते हैं।
 मुख्यत :हिन्दू धरम में विशवास करने वाला धीवर जाति अपने अराध्य कालू बाबा को मानती है।  यह लोग हिन्दुओं के सभी देवी देवताओं में श्रधा रखती है एवं हिन्दू धर्म के सभी त्यौहार मिलकर मनाती है।  इस जाति के लोग अत्यंत शांत प्रिय माने जाते हैं।  इनके पूर्वजों जहाँ मछली पालन का व्यवसाय करते थे, अब यह व्यवसाय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कम ही धींवर करते हैं।  कुल मिलकर मछली पालन का व्यवसाय करने वालों की स्थिति नगण्य ही है। यधपि भारत सरकार ने धींवर जाति को अतरिक्त पिछड़े वर्ग की सूचि में सूचीबद्द किया हुआ है मगर इस जाति को इसका कोई लाभ नहीं मिल पाया। यह जाति वर्षों से भारत सरकार से अनुसूचित जाति में प्रविष्ट करने की मांग करती आ रही है मगर अभी तक इनकी मांग पर कोई अनुशंसा नहीं हो पाई है। 

10 टिप्‍पणियां:

  1. भाई सुरेस कुमार कश्यप जी नमस्कार मेरा नाम मनीष कुमार हैं मैं दिल्ली का रहने वाला हु, मुझे नही पता ओर ना मेरे बड़ो को पता था के हम दिल्ली के रहने वाले है या कहि ओर के, म धीमर हु ओर मुझे इस बात का कोई अफसोस नही है लेकिन अफसोस इस बात का होता ह के हमारी जाती इतनी बड़ी होते हुए भी आज तक हमारी गिनती कहि नही होती सब बातें लिख पाना थोड़ा मुश्किल है मेरा न 8448152009 कभी मौका लगे तो एक मिस कॉल कर देना फिर बात करते है

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  2. Suresh ji kachua ki aulad ko kasyap samaj me koi jagaha Nahi hai kasyap Rajput tha Rajput hi rahega plz APNI bakwas band Karo

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    1. Sir baat yhe nhi ki ham kashyap h ya rajpoot.ham apni jati alg alg likte h jashe dhiver,mahala,kavya.ham apni jati certificates m kashyap kyo nhu likte h.

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  3. Dr. D.R.सिंह जी अपनी बकवास भरी टिपण्णी बंद करो. आपने कितने लेख लिखें है धींवर पर

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  4. Dr. D.R.सिंह जी अपनी बकवास भरी टिपण्णी बंद करो. आपने कितने लेख लिखें है धींवर पर

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  5. Isko uncha uthane k liye kya pryas kiye jaye .is samay hmari bradri ki bahut buri durdsa h .

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  6. निश्चत रूप से कश्यप समाज की एक बहुत बड़ी जनसंख्या होने के बाद भी आज हम हाशिये पर हैं।आज हमें जिस स्तर पर होना चाहिए हमारा समाज कोसों दूर है। अगर हम गौर करें तो इसके लिये कोई और नहीं हम स्वयं जिम्मेदार हैं क्यों कि हम शिक्षित नहीं हुये और आज भी हम अपने बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है बिना शिक्षा के समाज कभी उन्नति कर ही नहीं सकता। दूसरी बात यह कि यदि समाज का कोई व्यक्ति यदि शिक्षित हो भी जाय तो समाज के लोग उसे इज्जत नहीं देते जिसका वास्तव में वो हकदार है समाज के लोग उससे कुछ सीखना नहीं चाहते वल्कि उससे कटने लगते जिससे वह व्यक्ति चाहकर भी समाज के लिए कुछ नहीं कर पाता।

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    1. Apne bilkul sahi likha ha agar koi acche post per chala jata ha to use dusman ke nazar se dekte ha. Ekta inme na to kabhi hui ha aur na hi hoge inke mansikta Kasi ha mujhe aaj tak nahi pata chala. Shiksha per to is jate ke log bhut bada lecture de dete ha. Ki shiksha se kuch nahi hota berojgari hote ha.

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